माइकल फैराडे
वह लेख पढ़ने लगा. उसे लेख बहुत अच्छा लगा. उसने एक दिन के लिए दूकान के मालिक से वह पुस्तक अपने साथ ले जाने की अनुमति मांग ली और रात भर जाग कर वह लेख और पूरी पुस्तक पढ़ डाली. पुस्तक से वह बहुत प्रभावित हुआ. उसके मन में भी प्रयोग करने की जिज्ञासा जागी. इसके लिए वह विद्युत सम्बन्धी छोटी मोटी वस्तुएं इधर-उधर से जुटाने लगा ताकि अध्ययन और परीक्षण कर सके. बालक की यह रूचि देखकर एक ग्राहक उससे बहुत प्रभावित हुआ. उस ग्राहक को भी विज्ञान में बहुत दिलचस्पी थी. वह एक दिन उस बालक को भोतिक शास्त्र के एक प्रसिद्द विद्वान डेवी का भाषण सुनाने ले गया. बालक ने डेवी की सभी बातों को बहुत गौर से सुना और उन्हें नोट कर लिया. इसके बाद बालक ने भाषण की समीक्षा की और कुछ परामर्श लिखकर डेवी के पास भेज दिए.
डेवी को बालक के दिए परामर्श बहुत अच्छे लगे. उन्होंने बालक को अपने पास बुला लिया और उसे यन्त्र व्यवस्थित करने का कार्य सौंप दिया. बालक उनके सहयोगी की भूमिका भी निभाता और उनके बाकी कार्य भी करता. दिन भर वह काम में व्यस्त रहता और रात्रि में पढ़ाई करता. कितना भी कार्य हो और कितनी भी थकान हो पर उसके चेहरे पर एक शिकन तक ना आती. वह भोतिकी और विशेष रूप से विद्युत के क्षेत्र में बहुत कुछ करना चाहता था.
अपने कड़े परिश्रम और लगन के बल पर उसने अपना सपना पूरा किया. वह एक महान वैज्ञानिक बना जिसे हम माइकल फैराडे के नाम से जानते हैं.
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